पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने परिवार संग की की गोवर्धन पूजा

फरीदाबाद। शहर भर में रविवार को गोवर्द्धन पूजा की धूम रही। हरियाणा सरकार में रहे पूर्व मंत्री पूर्व कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने आज फरीदाबाद के सेक्टर 17 स्थित अपने निवास स्थान पर आज धूमधाम से अपने परिवार के साथ कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ गोवर्धन पूजा कर परिक्रमा लगाई।

Former minister Vipul Goyal performed Govardhan Puja with family

Faridabad. Govardhan Puja was celebrated across the city on Sunday. Former cabinet minister Vipul Goel, former minister in the Haryana government, today made a pompous ritual with social distancing by following the Corona Protocol with his family at his residence in Sector 17, Faridabad.

पत्रकारों द्वारा बातचीत के दौरान सबसे पहले उन्होंने समस्त प्रदेशवासियों को गोवर्धन पूजा, भैया दूज की शुभकामनाएं दी और गोवर्धन पूजा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि आज से लगभग 5000 साल पहले भगवान श्री कृष्ण ने लोगों को संदेश दिया कि हमारे पर्वत भी देवता हैं। भगवान इंद्र की पूजा तो ठीक है, लेकिन हमारे पर्वतों की भी पूजा की जानी चाहिए। तब सारे ब्रज वासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की और 7 कोस की परिक्रमा लगाई। तभी से यह परंपरा  निरंतर चली आ रही है।

विपुल गोयल ने कहा कि आज भी हम गोवर्धन पर्वत की पूजा कर परिक्रमा लगाते हैं, लेकिन आज संकेतिक रूप से ब्रज के सारे लोग गाय के गोबर गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और इसकी परिक्रमा लगा कर गोवर्धन की पूजा करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे गोवर्धन महाराज इस जगह पर बारिश लाना और लोगों की रक्षा करना। इस तरह की की पूजा का यहां पर विधि विधान है।

विपुल गोयल बिटिया प्रकृति ने अपने घर के आंगन में एक बेहतरीन रंगोली भगवान गणेश के चित्र की बनाई। प्रकृति के अनुसारयह रंगोली उन्होंने खुद बनाई है और इस रंगोली में सभी रंगों का इस्तेमाल किया गया है। इस रंगोली बनाने का मुख्य उद्देश्य देश में प्रदेश में एकता का संदेश देना है।

श्री सिद्धदाता आश्रम में गोवर्धन पूजा

भगवान की लीलाएं हम मनुष्यों को कर्म कर्त्तव्य सिखाने का काम करती हैं। हमें उनका अनुसरण आज के परिप्रेक्ष्य में करना चाहिए। यह बात जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कही। वह श्री सिद्धदाता आश्रम परिसर में श्री गोवर्धन पूजन कर रहे थे।

स्वामीजी ने कहा कि श्री गौवर्धन पूजन के समय केवल इंद्र के अहंकार के बारे में चर्चा होती है कि भगवान ने देवराज का अहंकार चूर करने के लिए पर्वत को उठा लिया, जिससे इंद्र का मान मर्दन हो गया। इससे बड़ा कारण आम जनजीवन के धन बल और जनबल की रक्षा का कहना चाहिए। हमें भगवान के इस करुणामयी स्वरूप से सीखना चाहिए कि यथासंभव हम अन्य की सहायता करने के लिए तत्पर रहें। आज के समय में भी हमें अपने अंदर दया, सेवा और प्रेम के गुणों को साकार रूप में रखना चाहिए। तभी भगवान के पूजन का अर्थ सही मायने में फलीभूत हो सकेगा।

इस अवसर पर जगदगुरु स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने गौ गोबर से निर्मित भगवान गौवर्धन का सविधि पूजन किया और लोककल्याण के लिए प्रार्थना की। यहां कोरोना काल को देखते हुए फिजिकल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा गया।

इससे पहले सुबह श्री विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर कलपुर्जों और औजारों का पूजन किया गया।

श्री गुरु महाराज ने कहा कि भगवान श्री विश्वकर्मा जी सृष्टि के प्रथम आर्किटेक्ट हैं, जिन्होंने ब्रह्माजी के अनुसार सृष्टि की रचना की।

उन्होंने कहा कि संसार का हर रचनात्मक कार्य करने वाला व्यक्ति भगवान श्री विश्वकर्मा जी का अनुसरण करता है। इस अवसर पर आश्रम में तकनीकी कार्यों से जुड़े व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

गौरतलब है कि अनंतश्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर की पदवी से अलंकृत स्वामीजी के सान्निध्य में श्री सिद्धदाता आश्रम देश विदेश से आने वाले भक्तों की आस्था का केंद्र बन रहा है। कोरोना काल में आश्रम की समस्त गतिविधियों को देश विदेश में सोशल मीडिया माध्यमों से प्रसारित किया जा रहा है, जिससे लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

 

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